DIRECTORATE OF INFORMATION & PUBLICITY
GOVERNMENT OF NCT OF DELHI
Dated : 25/4/2016
- 10वीं के बच्चों को ‘विद्यालय’ लिखना नहीं आता
मैं जब स्कूलों में जाता हूं तो कई जगह छठीं, सातवीं, आठवीं, नवीं के बच्चे अपनी टेक्स्टबुक नहीं पढ़ पाते, ये बहुत दुखद है। सरकारी स्कूलों में एस्टेट मैनेजर्स के लिए मोबाइल एप लांच करते हुए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने आज त्यागराज स्टेडियम में ये बात कही। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, पिछले सप्ताह मैं एक स्कूल में गया था। डायरेक्टर भी हमारे साथ थीं। वहां की बिल्डिंग बहुत शानदार थी। साफ-सफाई थी। स्कूल में ग्रीनरी थी। प्रिसिंपल बहुत डायनेमिक और एनर्जेटिक थीं। पर जब मैं 10वीं के क्लासरूम में गया तो मुझे बहुत दुख हुआ। क्लासरूम में एक कोने में तीन लीव एप्लीकेशन टंगी हुईं थी। मैंने उठाया तो देखा कि वे तीनों एप्लीकेशन हिंदी में थीं। वे बच्चे हिंदी मीडियम के थे। लेकिन उन एप्लीकेशन में कई गलतियां थीं। कोई बच्चा शादी के लिए एप्लीकेशन लिख रहा है तो उसमें शादी में मात्रा गलत थी। एप्लीकेशन में ‘आपकी कृपा होगी’ लिखा था लेकिन आपकी में मात्रा गलत थी। फिर मैंने उस क्लास के बच्चों से यही शब्द लिखने के लिए कहा तो करीब 20 फीसदी बच्चों ने ‘शादी’ और ‘आपकी’ में गलत मात्राएं लगाईं। विद्यालय शब्द करीब 50 फीसदी बच्चों ने गलत लिखा। फिर मैंने बच्चों से ब्राह्मण लिखने को बोला तो करीब 70 फीसदी बच्चों ने गलत लिखा। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए प्रधानाचार्यों से कहा कि हम आपको हर तरह की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं लेकिन अगर बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं, सीख नहीं पा रहे हैं तो हमारी हर कोशिश बेकार हो जाएगी। अगर हमारे बच्चे नहीं पढ़ पाए तो एस्टेट मैनेजर्स भी बेकार हैं, स्कूल बिल्डिंग भी बेकार है, ये 10,000 करोड़ का बजट भी बेकार है।
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